बलबीर सिंह का जीवन परिचय | Balbir Singh Sr Biography (Jivani) in hindi
हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है. कई लोग हॉकी भी उतनी ही दिलचस्पी के साथ देखते हैं, जितना कि क्रिकेट. भारत की हॉकी टीम इन दिनों विश्व भर में खूब सफलता हासिल कर रही है. कई ऐसे भारतीय हॉकी खिलाड़ी हुए, जिन्होंने भारतीय हॉकी को समृद्ध किया और भारतीय टीम को विश्व के अग्रसर हॉकी टीमों के साथ ला कर खड़ा कर दिया. इन्हीं नामों में एक नाम है. बलबीर सिंह का. यह भारतीय हॉकी खिलाडी थे, जिन्हें ओलंपिक में 3 बार गोल्ड मैडल प्राप्त हुआ. इन्होंने सन 1948 में लन्दन, सन 1952 में हेलसिंकी और सन 1956 मेलबर्न ओलंपिक में भारत की जीत मे एक अहम् भूमिका निभायी. इन्होने हेलसिंकी ओलंपिक में उपकप्तान और मेलबर्न में कप्तान के रूप भारतीय टीम की ज़िम्मेदारी निभाई. इनके खेल को देखते हुए कई बार इन्हें हॉकी का सबसे बड़ा खिलाड़ी या आधुनिक ध्यानचंद भी कहा जाता है. यहाँ पर इनसे सम्बंधित सभी विशेष जानकारियाँ दी जायेंगीं.
बलबीर सिंह का जीवन परिचय ( Balbir Singh Sr Biography in hindi)
क्र.म. | जीवन परिचय बिंदु | जीवन परिचय |
1. | पूरा नाम | बलबीर सिंह दोसांझ |
2. | दूसरा नाम | बलबीर सिंह एसआर. |
3. | जन्म | 10 अक्टूबर 1924 |
4. | जन्म स्थान | हरिपुर खालसा, पंजाब |
5. | निवास | बर्नाबय (कनाडा), चंडीगढ़ (भारत) |
6. | पेशा | हॉकी खिलाड़ी |
7. | राष्ट्रीयता | भारतीय |
8. | टीम |
भारत (अंतर्राष्ट्रीय)
पंजाब स्टेट (राष्ट्रीय) पंजाब पुलिस (राष्ट्रीय) पंजाब यूनिवर्सिटी (राष्ट्रीय) |
9. | मैडल |
3 गोल्ड (समर ओलंपिक)
2 सिल्वर (एशियाई गेम) |
10. | पिता का नाम | दलीप सिंह दोसांझ |
11. | पत्नी का नाम | सुशील |
12. | बेटी | सुश्बीर |
13. | बेटे | कँवलबीर, करणबीर और गुरबीर |
बलबीर सिंह का जन्म और शिक्षा (Balbir Singh Sr Education)
इनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा देव समाज हाई स्कूल मोगा में हुई. इसके उपरान्त अपनी आगे की पढाई लिखाई मोगा डीएम कॉलेज, सिख नेशनल कॉलेज लाहौर और कालांतर में खालसा कॉलेज अमृतसर से की.
बलबीर सिंह का आरंभिक जीवन (Balbir Singh Sr Early Life)
जब वे पढ़ाई कर रहे थे, इसी बीच इनकी रूचि हॉकी की तरफ गयी. इन्होने सन 1936 के ओलंपिक में होने वाली हॉकी प्रतियोगिता की न्यूज़रील देखी और खूब प्रभावित हुए. इनकी हॉकी की लगन ने खालसा कॉलेज हॉकी टीम के तात्कालिक कोच हरबाली सिंह का ध्यान इनकी तरफ आकर्षित किया. हरबाली सिंह इन्हें लगातार इनकी पढ़ाई लिखाई सिख नेशनल कॉलेज लाहौर से खालसा कॉलेज अमृतसर करने को कहते रहें, ताकि हरबाली सिंह इन्हें हॉकी सिखा सकें. अंततः बलबीर सिंह को इनके परिवार से इस बात की अनुमति मिल गयी कि वे अपनी शिक्षा दीक्षा का तबादला लाहौर से अमृतसर करा लें. वर्ष 1942 में इन्होने अपना तबादला खालसा कॉलेज अमृतसर में करा लिया और इनकी हॉकी की औपचारिक ट्रेनिंग शुरू हो गयी. बाद में हरबाली ने ही हेलसिन्की तथा मेलबर्न ओलंपिक के लिए भारतीय हॉकी टीम को कोचिंग दी.
बलबीर सिंह का परिवार (Balbir Singh Sr Family)
इनके माता पिता एक पंजाबी गाँव पद्वाडा के दोसांझी परिवार से आते थे. इनका तहसील जालंधर का फिल्लौर था. बलबीर के पिता दलीप सिंह दोसांझ एक स्वतंत्रता सेनानी थे. इनकी पत्नी मॉडल टाउन लाहौर की रहने वाली हैं. इन दोनो का विवाह वर्ष 1946 में हुआ. इनके तीन पुत्र और एक पुत्री है.
बलबीर सिंह का करियर (Balbir Singh Sr Hockey Player Careers)
खालसा कॉलेज में 4 हॉकी पिच मौजूद थे. वर्ष 1942-43 में सिंह को पंजाब यूनिवर्सिटी की तरफ से खेलने के लिए चयनित किया गया. इस समय पंजाब यूनिवर्सिटी के अंतर्गत अविभाजित पंजाब, जम्मू और कश्मीर, सिंध और राजस्थान के सभी कॉलेज शामिल थे. अतः प्रशिक्षण के आरंभिक दौर में ही पंजाब विश्वविद्यालय के लिए खेलना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात थी. इस समय होने वाले ‘आल इंडिया इंटर- यूनिवर्सिटी’ का ख़िताब पंजाब यूनिवर्सिटी के नाम हुआ. इसके बाद वर्ष 1943 से वर्ष 1945 तक बलबीर सिंह ही पंजाब यूनिवर्सिटी हॉकी टीम के कप्तान बने रहे. बलबीर सिंह 1947 में भी होने वाले नेशनल चैंपियनशिप अविभाजित पंजाब के हॉकी टीम के कप्तान बने रहे. इस समय इस टीम की कप्तानी एआईएस दारा के हाथ में थी. इस टीम में इन्होने सेंटर फॉरवर्ड के रूप में खेला था. सन 1947 के बंटवारे के समय ये अपने पूरे परिवार के साथ लुधियाना आ गये. यहाँ पर इन्हें पंजाब पुलिस में नियुक्त किया गया और वर्ष 1941 से 1961 तक पंजाब पुलिस टीम के लिए खेलते रहे.
वर्ष 1948 – 1956 :
यह दौर इनके करियर का सबसे महत्वपूर्ण समय रहा. इस दौरान इन्होने तीन ओलंपिक में भारतीय टीम के लिए खेला और तीनों ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक की प्राप्ति हुई. यहाँ पर तीनों ओलंपिक का संक्षिप्त वर्णन नीचे दिया जा रहा है,
- लन्दन ओलंपिक (1948) : बलबीर सिंह को ओलंपिक में पहली बार सन 1948 में होने वाले समर ओलंपिक के दुसरे मैच में देखा गया था. यह मैच भारत अर्जेंटीना के विरुद्ध खेल रहा था. इस मैच में इन्होने अकेले ही 6 गोल बनाये थे, जिसमे इनका एक हैट- ट्रिक भी शामिल था. यह मैच भारतीय टीम ने 9-1 के स्कोर से अपने नाम कर लिया था. इन्होने इसी ओलंपिक के फाइनल मैच में पुनः ब्रिटेन के विरूद्ध भी खेला, जो कि भारत और ब्रिटेन का किसी ओलंपिक में पहला मुकाबला था. इस मैच में भारत ब्रिटेन से 4-0 के स्कोर से जीत दर्ज की.
- हेलसिंकी ओलंपिक (1952) : वर्ष 1952 में होने वाले ओलंपिक में बलबीर सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के उपकप्तान के रूप में खेल रहे थे. इस समय भारतीय टीम के कप्तान के डी सिंह थे. इस ओलंपिक में उद्घाटन के समय इन्होने भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराया था. इस ओलंपिक के सेमिफिनल मैच के दौरान इन्होने ब्रिटेन के विरुद्ध हैट ट्रिक गोल स्कोर किया था. यह सेमीफाइनल भारत 3-1 से जीता था, इसके उपरांत नीदरलैंड के साथ होने वाले मैच में अकेले ही पांच गोल बना डाले और इस तरह से ओलंपिक फाइनल मे होने वाले पुरुषों के हॉकी में अकेले सर्वाधिक गोल बनाने वाले खिलाड़ी बने. इससे पहले ये रिकॉर्ड इंग्लैंड के रिगी प्रीडमोर के नाम था. उन्होंने एक मैच में अधिकतम 4 गोल बनाए थे. सिंह ने इस ओलंपिक मे भारत की तरफ से कुल 9 गोल बनाए थे.
- मेलबर्न ओलंपिक (1956) : इस ओलंपिक में इन्हें कप्तान का स्थान प्राप्त हुआ था. इन्होने इस ओलंपिक के ओपनिंग मैच में अफ़ग़ानिस्तान के विरुद्ध कुल 5 गोल बनाए, किन्तु इसी बीच ये घायल भी हो गये. इसके बाद रणधीर सिंह जेंटल ने बाक़ी मैचों में कप्तानी का दारोमदार संभाला. सिंह किसी भी ग्रुप मैच में नहीं खेल पायें हालाँकि उन्होंने सेमी फाइनल में पुनः अपनी वापसी की और इन्होने इसके बाद फाइनल तक खेला. भारत पकिस्तान के विरुद्ध फाइनल में 1-0 से जीत हासिल की तथा एक और ओलंपिक गोल्ड मैडल अपने नाम किया.
वर्ष 1956 के बाद का करियर :
इसके बाद ये उस हॉकी टीम के सदस्य बने, जिसने वर्ष 1958 में और वर्ष 1962 में एशियन गेम्स में सिल्वर मैडल हासिल किया. वर्ष 1971 मे इन्होने भारतीय हॉकी टीम के कोच के रूप में भी काम किया. इस समय होने वाले हॉकी विश्वकप में भारत को ब्रोंज मैडल प्राप्त हुआ. वर्ष 1975 में ये विश्व विजेता भारतीय हॉकी टीम के मेनेजर के पद पर कार्य कर रहे थे.
बलबीर सिंह का विवाद (Balbir Singh Sr Controversy)
यद्यपि ओलंपिक फाइनल में अकेले सर्वाधिक गोल करने वाला खिलाड़ी के रूप में बलबीर सिंह का नाम दर्ज है, किन्तु कई मीडिया स्त्रोतों के अनुसार ये पता चलता है कि ध्यानचंद ने सन 1936 में होने वाले ओलंपिक में जर्मनी के ख़िलाफ़ 6 गोल बनाए थे, जो कि बलबीर सिंह द्वारा बनाए गये 5 गोलों से अधिक है.
बलबीर सिंह के विभिन्न अवार्ड और उपलब्धियां (Balbir Singh Sr Awards and Honours)
सदी के महान खिलाडियों में एक होने की वजह से इन्हें कई अवार्ड से नवाज़ा गया है,
- बलबीर सिंह वे पहले स्पोर्टपरसन हुए, जिन्हें सन 1957 में पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया.
- वर्ष 1958 में इनके लिए डोमिनिकन रिपब्लिक की तरफ से एक डाक टिकट ज़ारी किया गया.
- वर्ष 1982 में दिल्ली में होने वाले एशियन गेम्स में इन्होने ही मशाल जला कर इसका उद्घाटन किया.
- वर्ष 2006 मे इन्हें ‘बेस्ट सिख हॉकी प्लेयर’ का ख़िताब हासिल हुआ.
- वर्ष 1982 में पेट्रियोटिक न्यूजपेपर की तरफ से कराये गये एक पोल में इन्हें ‘इंडियन स्पोर्टपरसन ऑफ़ द सेंचुरी’ माना गया.
- वर्ष 2015 में इन्हें मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचेवेमेंट अवार्ड ऑफ़ हॉकी से सम्मानित किया गया.